रविवार, 27 दिसंबर 2009

Antarvasna Email Club Message

प्रिय मित्रो !

"दीवाना देवर"

आज अन्तर्वासना के कथा-भण्डार से आपके लिए प्रस्तुत है लक्ष्मी बाई द्वारा लिखित कहानी !
लक्ष्मी बाई की कई कहानियाँ जैसे
बन्ना सा री लाडली : http://www.antarvasna.com/story.php?id=1047_kamvali_banna-saa-ri-ladli
कमल खिल गई : http://www.antarvasna.com/story.php?id=0916_koi-mil-gaya_kamal-khil-gai
अन्तर्वासना पर पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं !

गुरूजी

बॉलीवुड मसाला वीडियो : गर्मागर्म वीडियो ! www.bollywoodmasalavideos.com

*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*- "दीवाना देवर" -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*

मीटर गेज की ट्रेन थी, इसमें एयर कण्डीशन कम्पार्टमेन्ट में सिर्फ़ टू-टियर ही लगता था। कम्पार्टमेन्ट में चार बर्थ थी। सामने एक लगभग 45 वर्ष का व्यक्ति था और उसके साथ में एक जवान युवती थी, करीब 22-23 साल की होगी, साड़ी पहने थी। बातचीत में पता चला कि वो दोनों ससुर और बहू थे।

दिन का सफ़र था, मैं और मेरा देवर सामने के दो बर्थ में थे। बैठे बैठे मैं थक गई थी, सो मैं नीचे के बर्थ पर लेट गई। सामने भी वो युवती बार बार हमें देख रही थी, फिर उस व्यक्ति को देख रही थी। मेरी आंखे बंद थी पर कभी कभी मैं उन्हे देख लेती थी। मेरा देवर आंखे बंद किये ऊंघ रहा था।

अचानक मुझे लगा कि सामने वो आदमी युवती के पीछे हाथ डाल कर कुछ कर रहा है। मुझे शीघ्र ही पता चल गया कि वो उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे मल रहा था। वो बार बार उसे देख रही थी और उस पर झुकी जा रही थी, जाहिर था कि युवती को मजा आ रहा था।

मैंने अपनी आँखें कुछ इस तरह से बंद कर रखी थी कि सोई हुई प्रतीत हो। कुछ ही देर में उस आदमी ने उसकी चूंची दबा दी। उस युवती ने अपना हाथ उसके लण्ड पर रख दिया और बड़ी आसक्ति से उसे देखने लगी।

मेरे मन में भी तरंगें उठने लगी, मेरे तन में भी एक हल्की अग्नि जल उठी। मैंने चुपके से देवर को इशारा किया। देवर ने नींद में ही सामने देखा और स्थिति भांप ली। थोड़ी ही देर में देवर भी गरम हो उठा। उसका लण्ड भी उठने लगा। उसने भी अपना हाथ धीरे से मेरी चूंचियों की तरफ़ बढ़ा दिया। मेरी बाहों के ऊपर से उसका हाथ रेंगता हुआ मेरे स्तन पर आ टिका, जिसे उस व्यक्ति ने आराम से देख लिया।

हमें भी इस हालत में देख कर वो कुछ खुल गया और उसने उस युवती की साड़ी के अन्दर हाथ घुसा दिया। लड़की उस आदमी पर लगभग गिरी सी जा रही थी, और उसे बड़ी ही आसक्ति से देख रही थी मानो चुदना चाह रही हो।

मेरे देवर ने भी मेरी चूंचियों पर खुले आम हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया। वो व्यक्ति अब मुस्करा उठा और उसने भी खुले आम उस लड़की के ब्लाऊज में हाथ डाल दिया और उसकी चूंचियाँ दबाने और मसलने लगा। यह देख कर मेरे देवर ने मेरे ब्लाऊज में हाथ घुसा कर मेरी नंगी चूंचियाँ पकड़ ली।

अब मैं उठ कर बैठ गई और उस व्यक्ति के सामने ही देवर का लण्ड पैन्ट की जिप खोल कर पकड़ लिया।

उस व्यक्ति ने देखा कि सभी अपने काम में लग गये हैं तो उसने लड़की को लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया, अपना लण्ड निकाल कर उसकी साड़ी ऊंची करके उसकी चूत पर लगा दिया। देवर भी मुझे लिटाने का प्रयास करने लगा। मैंने उसे इशारे से मना कर दिया। उधर उस लड़की की आह निकल पड़ी और वो चुदने लगी थी। पर वो मर्द जल्दी ही झड़ गया।

देवर ने उसे इशारा किया तो उसने उसे सहमति दे दी। देवर ने उस लड़की की टांगें ऊंची की और अपना कड़क लण्ड निकाल कर उसकी चूत में घुसा दिया।

मैं बड़ी उत्सुकता से देवर को चोदते हुए देख रही थी। सिसकियों का दौर जारी था। कुछ ही देर में वो दोनों झड़ गये। चुदने के बाद हम सभी आराम से बैठ गये। वो लड़की मेरे देवर को बहुत ही प्यार भरी नजरों से देख रही थी। देवर से रहा नहीं गया तो वो उठा और उसे चूम लिया और उसके स्तन एक बार दबा दिये।

शाम ढल आई थी, ट्रेन स्टेशन पर आ चुकी थी। आगरा फ़ोर्ट आ चुका था। मेरा देवर बोगी के दरवाजे पर खड़ा था। गाड़ी के रुकते ही हम अपने थोड़े से सामान के साथ उतर पड़े। देवर ने सामान अपने साथ ले लिया और हम स्टेशन के बाहर आ गये। एक टेम्पो लेकर पास ही एक होटल में आ गये।

रास्ते भर वासना का खेल देखते हुए और मेरे अंगो से छेड़छाड़ करते हुए आगरा पहुँचे थे। इतनी छेड़छाड़ से मैं उत्तेजित भी हो गई थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि बस अब कोई मेरे उभारों के साथ खूब खेले और मुझे मस्त कर दे।

होटल के बिस्तर पर आते ही मैंने अपनी साड़ी खोल कर एक तरफ़ फ़ेंक दी और मात्र पेटीकोट और ब्लाऊज में लेट गई।

मेरा देवर मुझे बड़ी उत्सुकतापूर्वक निहार रहा था। मेरी छातियाँ वासना से फूल और पिचक रही थी। छातियों का उभरना और सिमटना देवरजी को बड़ा ही भला लग रहा था। वो मेरे पास ही बैठ कर मेरे सीने को एकटक निहारने लगा।

मेरी आंख अचानक ही खुल गई। देवर को यूँ घूरते देख कर मैं एक बार फिर से वासना में भर गई। मैं झट से उठ कर बैठ गई। पर इस बात से अनजान कि मेरे ब्लाऊज के दो बटन खुल चुके थे और मेरी गोल गोल उभार ब्रा के साथ बाहर झांकने लगे थे।

देवर का हाथ मेरे उभारों की तरफ़ बढ़ने लगे। जैसे ही उसके हाथ मेरे ब्लाऊज पर गये, मैंने उसके हाथ पकड़ लिये,"देवर जी... हाथ दूर रखिये... क्या इरादा है?" मैंने तिरछी नजरो से उसे निहारते हुए कहा।

देवर एकदम से हड़बड़ा गया,"भाभी, मैं तो ये बटन बंद कर रहा था !" पर उसका लण्ड तो खड़ा हो चुका था, इसलिये मैं तो यही समझी थी कि वो मेरे छातियां मसलना चाहता है। फिर मर्द

नाम का तो वही था मेरे सामने, और उस ट्रेन में लड़की को चोद ही चुका था। मैंने तिरछी निगाहों से उसे देखा और उठ खड़ी हुई और बोली,"तो लगा दे बटन... !"

देवर ने मेरे इशारे को समझ लिया और मेरे ब्लाऊज का बटन लेकर मेरे स्तन दबाते हुए लगाने लगा।

"भाभी ब्लाऊज तो टाईट है...!"

"तो दबा कर लगा दे ना !" मैंने अपने उभारो को थोड़ा और उभार दिया। देवर से रहा नहीं गया और उसके दोनों हाथों ने मेरे स्तनों को घेर लिया और अपने हाथों में कस लिया।

"हाय रे देवर जी... इन्हें तो छोड़ो ना... ये ब्लाऊज थोड़े ही है...!" मैंने उसे हल्का सा धक्का दे दिया और हंसती हुई बाथ रूम में चली गई। देवर मुझे प्यासी नजरों से देखता रह गया। मैंने अच्छी तरह नहाया धोया और फ़्रेश हो कर बाहर आ गई।

कुछ ही देर में देवर भी फ़्रेश हो गये थे। उसके हाथ अभी भी मेरे अंगों को मसलने के लिये बैचेन हो रहे थे। उसके हाथ कभी मेरे चूतड़ों पर पड़ते थे और कभी किसी ना किसी बहाने छाती से टकरा जाते थे।

हम दोनों तैयार हो कर नीचे खाना खाने आ गये थे। रात के नौ बज रहे थे, हम बाहर होटल के बाग में टहलने लगे। मेरा मन तो देवर पर लगा था । मन ही मन देवर से चुदने की योजना बना रही थी। मेरे तन बदन में जैसे आग सी लगी थी। तन की अग्नि को मिटाना जरूरी था।

मैंने देवर के चूतड़ों पर हाथ मार कर देखा तो पता चला कि उसने अंडरवियर नहीं पहनी थी। उसके नंगे से चूतड़ो का मुझे अहसास हो गया था।

मैंने भी पजामे के नीचे पेंटी और कुर्ते के अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। बाग में घूमते घूमते मैंने कहा,"देवर जी, मैं एक चीज़ बताऊँ...!"

"हां बताओ ..." उसने उत्सुकता से पूछा।

"पहले आंखें बंद करो... फिर एक जादू बताती हूँ..." मैंने शरारत से कहा। मेरी वासना उबल रही थी।

उसने आंखें बंद कर ली। मैंने अपना हाथ धीरे से उसके उठते हुए लण्ड पर रख दिया,"देवर जी आंखें बंद ही रखना... प्लीज मत खोलना ...!" धीरे से मैंने उसके लण्ड पर कसाव बढ़ा दिया

"आह... भाभी...!" उसके मुख से आह निकल पड़ी।

"देखो आंखें नहीं खोलना... तुम्हे मेरी कसम...!" और लण्ड को हौले से उपर नीचे करने लगी।

"सी सीऽऽऽऽऽऽ... आह रे..." उसकी सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी।

"तुम्हें मेरी कसम है... आंख बंद ही रखना...!" मैंने सावधानी से बाग में इधर उधर देखा, और पजामे में हाथ घुसा कर उसका नंगा लण्ड थाम लिया। बस मसला ही था कि कुछ आहट हुई, मैंने तुरन्त ही हाथ बाहर खींच लिया। देवर की आंखें खुल गई,"भाभी, मैं कोई सपना देख रहा था क्या ?"

"चुप भी रहो... बड़ा आया सपने देखने वाला... अब चलो कमरे में..." मैंने उसे झिड़कते हुए कहा ।

हम दोनों वापस कमरे में आ गये। डबल बेड वाला कमरा था। देवर बड़ी आस लगाये मुझे देख रहा था। पर मैंने अपने बिस्तर पर लोट लगा दी और आंखें बंद करके लेट गई। देवर ने बत्ती बुझा दी। मैं इन्तज़ार करती रही कि इतना कुछ हो गया है, देवर जी चोदे बिना नहीं छोड़ेंगे। पर बस मैं तो इन्तज़ार ही करती रह गई। उसने कुछ नहीं किया। अंधेरे में मैंने उसे देखने का प्रयास किया, पर वो तो चित्त लेटा आंखें बंद किए हुए था।

मुझे कुलबुलाहट होने लगी, चूत में आग लगी हुई थी और ये लण्ड लिये हुए सो रहा था। अब मैंने सोच लिया था कि चुदना तो है ही। मैंने धीरे से अपने पूरे कपड़े उतार लिये। फिर देवर के पजामे का नाड़ा धीरे से खींच कर ढीला कर दिया और पजामा नीचे खींच दिया। उसका लण्ड सीधा तना हुआ खड़ा था। यानि उसका लण्ड मुझे चोदने के लिये तैयार था।

मैं धीरे से उठी और देवर के ऊपर चढ़ कर बैठ गई। उसके लण्ड को सीधे ही अपनी चूत से लगा दिया और धीरे से जोर लगा दिया। उसका लण्ड फ़क से अन्दर घुस गया। देवर या तो पहले से ही जगा हुआ था या आधी नींद में था... झटके से उसकी आंख खुल गई। पर देर हो चुकी थी। मैंने उसके जिस्म पर कब्जा कर लिया था और उसके ऊपर लेट कर उसे जकड़ लिया था।

मेरी चूत जोर लगा कर उसके लण्ड को लील चुकी थी।

"अरे...रे... भाभी... ये क्या... हाय रे... " उसके लण्ड में मीठी मीठी गुदगुदी हुई होगी। उसके हाथ मेरी कमर पर कसते चले गये।

"देवर जी, नींद बहुत आ रही है क्या...? फिर तेरी भाभी का क्या होगा...?"

"मैं तो समझा था कि आप मुझसे सेक्सी मजाक कर रही हैं... !"

"हाय... देवर जी... लण्ड और चूत में कैसी दोस्ती... लण्ड तो चूत को मारेगा ही...!"

"भाभी, आप बड़ी प्यारी है... मेरा कितना ध्यान रखती हैं... आह रे... लण्ड के ऊपर बैठ जाओ ना...!"

देवर ने बत्ती जला दी। मैं अपनी पोजीशन बदल कर खड़े लण्ड पर सीधे बैठ गई। लण्ड चूत में जड़ तक उतर गया और पैंदे से टकरा गया। हल्का सा दर्द हुआ। उसके हाथ आगे बढ़े और मेरी चूंचियों को अपने कब्जे कर लिया और उन्हें मसलने लगा। मेरा जिस्म एक बार फिर से मीठी आग में जल उठा। मैं धीरे से उस पर लेट गई और हौले हौले चूत ऊपर नीचे करके लण्ड को अन्दर बाहर करके स्वर्गीय आनन्द लेने लगी।

उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और सिसकारी भर भर कर हिलते हुए चुदने लगी। देवर भी वासना भरी आहें भरने लगा। पर देवर ने जल्दी ही मुझे कस कर लपेट लिया और और एक कुलांची भर कर ऊपर आ गया। मुझे उसने दबा लिया।

पर अब उसके लण्ड का निशाना मेरी गाण्ड थी। इशारा पाते ही मैंने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊंची कर ली । बस फिर तो राही को रास्ता मिल गया और मेरे चूतड़ों के पट खोलते हुए छेद पर आ टिका, उसने मेरी आंखों में आंखें डाल दी और आंखों ही आंखों में मुझे चोदने लगा। मैं उसके आंखों के वार सहती रही... मेरी आंखें चुदती रही... और मेरे मुख से आह निकल पड़ी।

उसका प्यारा सा लण्ड मेरी गाण्ड में उतर गया। प्यार से वो मुझे आंखों से चोदता रहा... उसकी ये प्यारी स्टाईल मुझे अन्दर तक मार गई। मेरी आंखों में एकटक देखने से पानी आ गया और मैंने अपने चक्षु धीरे से बन्द कर लिये। मेरी गाण्ड लण्ड को पूरा निगल चुकी थी। गाण्ड की दीवार में तेज गुदगुदी चल रही थी। उसके धक्के तेज हो गये थे... लग रहा था कि उसका माल निकलने वाला है।

मैंने उसे इशारा किया और उसके पलक झपकते ही लण्ड गाण्ड में से निकाल कर चूत में फिर से पेल दिया। मेरा अन्तरंग आनन्द से नहा गया। चूत की चुदाई स्वर्ग जैसी आनन्ददायी लग रही थी। मेरी चूत उछल उछल कर उसका साथ देने लगी।

मेरे जिस्म में तंरगें उठने लगी... सारा शरीर सनसनाहट से भर उठा। सारा शरीर आनन्द से भर उठा। आंखे बंद होने लगी। देवर का लण्ड भी मोटा प्रतीत होने लगा। दोनों ओर से भरपूर कसावट के साथ चुदाई होने लगी।

लण्ड मेरी चूत में तरावट भर रहा था। मेरी चूत अब धीरे धीरे रस छोड़ने लगी थी। ... और अचानक उसका लण्ड अत्यन्त कठोर होकर मेरी चूत के पेंदे में गड़ने लगा और फिर एक गरम गरम सा अहसास होने लगा। उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। तभी मेरी चूत ने भी अंगड़ाई ली और उसके वीर्य में अपना रस भी उगल दिया। दोनों रस एक हो गये और चूत में से रिसने लगे।

देवर ने मुझे कस कर दबोच रखा था और चूतड़ को दबा दबा कर अपना वीर्य निकाल रहा था। मैं भी चूत को ऊपर उठा कर अपना पानी निकाल रही थी। देवर ने पूरा वीर्य चूत में खाली कर दिया और उछल कर खड़ा हो गया। मैंने भी सन्तुष्ट मन से करवट बदली और गहरी नीन्द में सो गई। सुबह देर से उठी तब तक देवर उठ चुका था। मुझे जगा हुआ देख कर उसने मेरी टांगें ऊपर की और मेरी चूत को खोल कर एक गहरा चुम्बन लिया।

"घर में भाभी का होना कितना जरूरी है यह मुझे आज पता चला...! है ना...?" देवर ने प्यार से देखा।

"हां सच है...पर देवर ना हो तो भाभी किससे चुदेगी फिर... बोलो...?" हम दोनों ही हंस पड़े और बाहर जाने की तैयारी करने लगे...।


ऐसी ही और इससे भी ज्यादा उत्तेजक बहुत सी नई नई कहानियाँ आप हर रोज पा सकते हैं www.antarvasna.com पर !

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गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

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सोमवार, 23 नवंबर 2009

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रविवार, 8 नवंबर 2009

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प्रिय मित्रो !

"स्वयंवर का सच"

आज अन्तर्वासना के कथा-भण्डार से आपके लिए प्रस्तुत है अरमान द्वारा लिखित तथा प्रेम गुरु द्वारा प्रेषित कहानी !

गुरूजी

हिन्दी सेक्स फ़ोरम ! www.antarvasna.com/forum/

*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*- "स्वयंवर का सच" -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*

मैं जानता था कि यह राखी कपूर एक नंबर की चुद्दकड़ है। ये स्वयंवर वाली बात तो महज पब्लिसिटी बटोरने का एक तरीका है उसे कोई शादी वादी नहीं करनी है। ऐसी फुद्दैड़ औरतों को शादी विवाह और घर गृहस्थी जैसी बातों में तो ज़रा भी विश्वास नहीं होता।

इन्हें तो बस किसी भी तरह दौलत और शोहरत चाहिए भले ही किसी भी कीमत पर मिले। पता नहीं साली ने कितने लंड खाए होंगे पर नाटक तो ऐसा करती है जैसे कोई छुईमुई और एक दम अक्षत-यौवना ही हो।
...... इसी कहानी में से

सच कहूँ तो यह कहानी अरमान की ही है। उसने मुझे जाल-संवाद के दौरान बताई थी। मैंने तो बस इसे कहानी का रूप देकर संपादित ही किया है। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। आप सभी कहानी का लुत्फ़ तो ले ही सकते हैं : प्रेम गुरु

पिछले हफ्ते मेरी असली शादी हो गई है। आप जरूर सोच रहे होंगे शादी तो असली ही होती है इसमें बताने वाली क्या बात है?

अरे नहीं भाई मेरा मतलब यह था कि मैं एक बार पहले भी शादी में दूल्हा तो नहीं पर प्रतियोगी जरूर बन चुका हूँ। अरे आप ने मुझे नहीं पहचाना। मैं अरमान साहिल फ्रॉम इलाहाबाद ?
याद आया ना राखी कपूर का स्वयंवर ?

हाँ मैं अरमान हूँ 25 साल का सजीला जवान। लंड की साइज़ 8" मोटाई 2", हाँ तो मैं अपनी शादी की बात कर रहा था। गीता के साथ मेरी शादी हो गई है। एक ख़ास बात आपको गीता के बारे में बता दूँ...

वो मुझे रोज़ अपने हाथों से रात को गर्म दूध जरूर पिलाती है और दूध के गिलास को देख कर फिर मुझे राखी का स्वयंवर फिर याद आ जाता है। अब कल की बात सुनो- रात को जब मैं कमरे में आया तो वो हाथो में दूध का गिलास लिए मेरा इंतजार ही कर रही थी।

वो बोली "अरमान ! पहले ये गर्म दूध पी लो !"

"नहीं आज मैं यह नकली नहीं असली दूध पिऊंगा ?" मैंने दूध का गिलास परे रख दिया और उसे बाहों में कस कर भर लिया और तडातड़ कई चुम्बन उसके गालों होंठो और उरोजों पर ले लिए। वो थोड़ा कुनमुनाई और बोली,"ओह... अरमान थोड़ा सब्र तो करो ... !"

"ओह मेरी गीता रानी अब सब्र नहीं होता ! प्लीज जल्दी से अपने कपड़े उतारो !"

और मैंने अपने कपड़े उतारने चालू कर दिए।

गीता बोली,"नहीं अरमान ! प्लीज आज नहीं !"

"क्यों ??"

"ओह ... तुम औरतों की परेशानी नहीं समझते ?"

"ओह बताओ ना? क्या हुआ ?"

वैसे तो हमेशा खुद ही कपड़े खींचती थी। आज क्या हो गया मेरी गीता रानी को ?

"वो .. वो .. आज रेड सिग्नल है गाड़ी आगे नहीं जा सकती !" कहकर उसने अपनी गर्दन झुका ली।

मेरा तो मूड ही खराब हो गया। वो मेरे पास आई और बोली "तुम पिछले सात दिनों से रोज़ चार-पाँच बार कर रहे हो ! अब तीन दिन आराम करो और मुझे बस ऐसे ही प्यार करो।"

"ओह .. हाँ " और मैंने उसे बाहों में भर लिया।

"अरमान, एक बात पूछूं ?"

मैंने हाँ में गर्दन हिलाई तो वो बोली "देखो सच बताना ?"

पता नहीं वो क्या पूछना चाहती थी …

"तुम राखी के स्वयंवर में गए थे ना ?"

"हाँ तुम जानती तो हो ?"

"ओह मैं तो इतना जानती हूँ कि तुम वहाँ गए थे पर वहाँ क्या हुआ पूरी बात बताओ ना प्लीज ?"

"बाकी सब तो तुमने टीवी पर देख ही लिया था पर एक बात टीवी पर नहीं दिखाई गई थी ?"

"वो क्या ?"

"तुम्हें पता होगा हम पाँच प्रतियोगियों को एक-एक घंटे के लिए अकेले राखी के साथ कमरे में बंद कर दिया गया था आपस में बात करने के लिए ?"

"हाँ हाँ ?" उत्सुकतावश गीता की आँखें चमक उठी "प्लीज जल्दी बताओ अन्दर क्या किया तुमने और राखी ने ?"

"ओह .. तो यह बात है ?"

"प्लीज बताओ ना ?"

"तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना ?"

"नहीं पर प्लीज सच बताना झूठ नहीं ?"

"मैंने उसकी चुदाई कर दी बस !"

"हुंह ... पूरी बात बताओ ना ?"

गीता जब इस तरह तुनकती है तो उसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है।

"अरे यार पूछो मत ! मज़ा आ गया था! क्या चूत है साली की ! बड़ी ही तीखी है ! उछल उछल कर लंड लिया था उसने अपनी चूत में !"

"प्लीज पूरी बात बताओ ! तुम्हें मेरी कसम !"

तो सुनो :

प्रोग्राम होस्ट राम कपूर ने हमें कमरे में बंद कर दिया और बोला कि अब एक घंटे तक तुम और राखी अपने मन की सारी बातें कर लो जो सब के सामने नहीं कर सकते। तो राखी ने कहा- नहीं, टाइम की कोई बंदिश नहीं होनी चाहिए ! हम अपने आप बाहर आ जायेंगे !

राम कपूर और निर्देशक मान गये और हम दोनों कमरे में आ गए।

मैं जानता था कि यह राखी कपूर एक नंबर की चुद्दकड़ है। यह स्वयंवर वाली बात तो महज पब्लिसिटी बटोरने का एक तरीका है उसे कोई शादी वादी नहीं करनी है। ऐसी फुद्दैड़ औरतों को शादी विवाह और घर गृहस्थी जैसी बातों में तो ज़रा भी विश्वास नहीं होता ।

इन्हें तो बस किसी भी तरह दौलत और शोहरत चाहिए भले ही किसी भी कीमत पर मिले । पता नहीं साली ने कितने लंड खाए होंगे पर साली नाटक तो ऐसा करती है जैसे कोई छुईमुई और एक दम अक्षत-यौवना ही हो।

मैं भी उसके स्वयंवर में एक प्रतियोगी बना था। मैं जानता था कि उसका दिल मेरे ऊ़पर आ गया है। बस वो तो मौके के इंतज़ार में ही थी जैसे।

एक बात और बताता हूँ... मैंने जब पहली बार सेक्स किया था तब से अपने साथ कंडोम और वियाग्रा की गोली अपने पर्स में जरूर रखता हूँ। वो इसलिए कि किस्मत और पेंटी का नाड़ा कब कब खुल जाए कोई नहीं जानता। और इसका असली फायदा मुझे उस दिन हुआ था।

हम दोनों एक दूजे की बाहों में लिपटे कमरे के अन्दर आ गए। कमरा बहुत बड़ा था और आलिशान था। विदेशी इत्र की मादक महक से भरा था। पलंग पर गुलाब की पत्तियाँ बिखरी थी। साथ की टेबल पर दूध के दो ग्लास पड़े थे। दो सोफे जैसी कुर्सियाँ पड़ी थी। धीमी रोशनी और इंग्लिश धुन बजाता मध्यम संगीत तो किसी को भी रोमांटिक बना दे।

"अरमान ! पहले दूध पी लो !" राखी ने मर्दमार आवाज में कहा।

साली ! अभी से क्या हुक्म चलाती है। जैसे मैं उसका पति ही हूँ।

दूध पीने के साथ साथ मैंने चुपके से एक गोली वियाग्रा की भी खाली थी। बाद मैं और राखी पलंग पर बैठ गए।

मैं कुछ पूछना चाहता था पर इससे पहले कि मैं कुछ पूछूं वो बोली,"अरमान तुमने किसी की पहले भी चुदाई की है ?"

मैं हैरान हुआ उसे देखता ही रह गया।

"अरे मेरे भोले सनम इसमें शरमाने की क्या बात है प्लीज बताओ ना ?"

"वो .. वो .. दर असल ?" मेरी तो जैसे बोलती ही बंद कर दी थी उसने।

"ओह .. तुम तो लड़कियों की तरह शर्मा रहे हो ?" वो खिलखिला कर हंस पड़ी।

अब तक गोली ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। अब मुझे भी जोश आ गया मैंने कहा, "हाँ की है 3-4 को चोद चुका हूँ ?"

"जीयो मेरे राजा ... फिर तो मज़ा इच आ जाएगा आज ?"

"क्या मतलब ?" मैंने हैरानी से उसकी और देखा तो बोली "अच्छा बताओ तुम्हें किस आसन में सबसे ज्यादा मज़ा आता है ?"

"वो .. वो .. मुझे तो डॉगी वाला स्टाइल पसंद है !"

"हाई मैं मर जावां !" और उसने मेरे गालों को चूम लिया।

"गुड ... मेरा भी पसंदीदा आसन यही है !"

"क्या तुम पहले से ही ... मेरा मतलब .. ?"

"हाँ मेरे राजा !"

"तो फिर यह शादी ...? स्वयंवर... ?"

"ओह ये सब तो बस पब्लिसिटी स्टंट है। टीवी पर जब तक कोई नई चीज नहीं दिखाई जाए टी.आर.पी. नहीं बढ़ती ना !"

"ओह .. एक बात पूछूं ?"

"बोलो ?"

"फिर वो तुमने चीका को थप्पड़ क्यों मारा था ?"

मैं एक भारतीय नारी हूँ कुछ तो भारतीयों जैसा करना पड़ेगा ना इस लिए ? वो सब चीका और डाइरेक्टर का प्रायोजित ड्रामा था यार !"

"कैसे ?"

"तुम भी अक्ल के दुश्मन ही हो... अरे बाबा उस शिल्पा को इऽच लो, साली हरामजादी रांड उस फिरंगी (गेर) के साथ एक चुम्मा देकर कितना फेमस हो गई थी ? और.. और वो... साली संभावना शेट्टी की बच्ची ... मेरा बस चले तो मैं उसकी चुटिया पकड़ कर जमीन पर पटक दूं.. साली की वाट इच लगा दूं !"

"ओह .. पर उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ?"

"उसने .. उसने .. तो मेरा बेड़ा इच गर्क कर दिया था !"

"वो कैसे ?"

"जब बिग बॉस शो चल रहा था तो पहले बिग बॉस मेरी चुदाई करना चाहता था पर उस रांड ने पता नहीं उस को क्या पिला दिया था कि वो तो उस पर लट्टू ही हो गया । साली ने जरूर उसे गांड मारने दी होगी । वो साला एक नंबर का गांडू है ना !"

"ओह ...."

"इसीलिए मैंने भी सोचा कि क्यों ना कोई नया ड्रामा किया जाए !"

"ओह तो यह तुम्हारी चाल ही है... मेरा मतलब नया ड्रामा !!"

"और नहीं तो क्या ? तुम क्या सोचते हो कि यह जो स्वयंवर चल रहा है, मैं कोई सचमुच शादी करने वाली हूँ ? अपुन को कोई शादी-वादी नहीं मांगता यार !"

"क्या मतलब ?"

"हाँ ... भई जिस दिन फैसला करने की घड़ी होगी उस दिन सगाई का ऐलान करूंगी और तीन या चार महीने का समय मांगूंगी, उसे ठोक बजा कर देखूंगी अगर बन्दा मेरी हर बात मानेगा और अच्छी तरह से मेरी चुदाई करेगा तो इच उस से शादी करुँगी नहीं तो बाय बाय ! समझे ?"

"तो क्या ये सब भी ... ?"

"जियो मेरे राजा.... तुम भी एक नंबर के लड्डू गोपाल ही हो। मुझे कोई शादी वादी नहीं करनी मैं तो किसी ढंग की आसामी की तलाश में हूँ। अगर कोई अक्ल का अँधा और गाँठ का पूरा (मालदार फुद्दू) मिल गया तो मजा इच आ जाएगा जैसे...... ऐलिश ?" कहते हुए राखी खिलखिला कर हंस पड़ी।

मैं क्या बोलता मैं तो सोचता ही रह गया ये टीवी वाले भी कैसे कैसे टोटके आजमाते हैं अपनी टी. आर. पी. बढाने के लिए।

"ओह तुम कहाँ खो गए मेरे राजा ?"

"नहीं कुछ नहीं ?"

"आओ अब समय बर्बाद मत करो तुम्हें दो-तीन शिफ्टों में काम करना है !" राखी का खुला आमंत्रण सुनकर मैं तो उछल ही पड़ा। मेरा लंड तो आज अकड़ कर 8" से भी ज्यादा बड़ा हो गया था और फूल कर जैसे कुप्पा ही बन गया था। वो तो बस अपना आपा ही खोने वाला था ।

"ओह येस..."

"अब देर किस बात की है तुम तो बड़े अनुभवी हो चलो शुरू हो जाओ ?" और उसने मेरी और आँख मार दी।

पहले तो मैं कुछ समझा नहीं बाद में मैंने उसे दबोच ही लिया। वो तो उईईच .... आह... करती ही रह गई।

"ओह ... अरमान डार्लिंग ऐसे नहीं पहले कपड़े तो उतारो !"

मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिए और फिर राखी के सारे गहने उतार दिए ताकि कोई परेशानी ना हो। उसके बाद मैंने उस के गालों पर एक छोटा और प्यार सा किस किया।

वो तो बिलकुल भी नहीं शरमा रही थी। चोली के अन्दर मोटे ताजे दो कबूतर कैद थे मानो बोल रहे हो हमें यहाँ से आजाद कर दो हमारा दम घुट रहा है।

यहाँ पर मैंने ऐसा नहीं किया और राखी को किस करने लगा और एक हाथ से उसके ब्रा में कैद स्तनों को दबाने लगा जिससे वो गर्म हो रही थी और मुंह से सिस्कारियों की आवाज़ निकल रही थी,"ह्म्म्म्म..... आहाह्ह्हन्न्न्न्न्न्न.... बड़ा मज़ा आ रहा है ...."

करीब दस मिनट तक किस करते हुए मैं उसके वक्ष भी दबाता रहा जिससे वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। अब मैंने उसका साया भी निकाल दिया और अब वो केवल पैंटी और ब्रा में थी। साली के क्या मस्त चूतड़ थे। मोटे मोटे फुटबाल हो जैसे। मैं जानता हूँ कि यह राखी एक नंबर की फुद्दैड़ रांड है तभी तो इतने मस्त झकास चूतड़ हैं, लगता है साली जरूर गांड मरवाने की भी शौकीन है।

मैंने उससे कहा,"राखी तुम बहुत सुन्दर हो, तुम्हारा हर अंग खुदा ने बड़ी ही फुर्सत में तराशा है जिसमें एक भी दाग नहीं है। मैं बहुत किस्मत वाला हूँ जो मुझे तुम मिली !"

इस कहानी का शेष भाग शीघ्र ही wwww.antarvasna.com पर प्रकाशित होगा।

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